जैव मशीन
“प्रत्येक प्रजाति के अधिक से अधिक सदस्य जन्म लेते हैं लेकिन उतनी संख्या में जीवित नहीं रहते और इसके फलस्वरूप लगातार अस्तित्व के लिए संघर्ष जारी रहता है, इसके बाद यदि कोई जीवधारी किसी भी रूप में थोड़ा सा भिन्न होता है तो जीवन की जटिल और कभी-कभी बदलती परिस्थितियाँ उसके लिए लाभप्रद होती हैं और उसके जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है, और इस प्रकार प्रकृतित: वह चयनित हो जाता है । अनुवांशिकता के सख्त सिद्धांत के अनुसार चयनित प्रजाति अपने नवीन और संशोधित रूप को आगे बढ़ाना चाहेगी” – चार्ल्स डार्विन “जैव मशीन” का आधार यह है कि किस प्रकार जीवधारी और पौधे तथा उनके अंग मशीन की तरह कार्य करते हैं । यह जीवंत मशीनें करोड़ों वर्षों से श्रेष्ठ प्रमाणित हुई हैं । इसलिए उन्हें सर्वोच्च मशीन कहा जाता है । यह दीर्घा शिक्षा और मनोरंजन दोनों से भरी पड़ी है । “जैव मशीन” एक अनोखी दीर्घा है जो प्रकृति निर्मित चामत्कारिक मशीन बनाम मनुष्य निर्मित मशीन से संबद्ध है । प्रत्येक प्रदर्श मानव शरीर के संरचनात्मक, कार्यात्मक और जटिल नियंत्रण प्रक्रिया का विवरण दर्शाते हैं और दृश्य, बहुमाध्यम और अन्त: क्रियात्मक प्रदर्शों के माध्यम से मनुष्य निर्मित मशीनों के साथ इसकी तुलना भी करते हैं । इस दीर्घा में आयें और जानें कि किस प्रकार जैव मशीनें मनुष्य निर्मित मशीनों से श्रेष्ठ हैं ।